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LAtest poem in 2020
हो लाख जुल्म मगर बददुआ नही देंगे
जमीन माँ है जमी को दगा नही देंगे
हमे तो सिर्फ जगाना है सोने वालों को
जो दर खुला है वहा सदा नही देंगे
आज बात करूं तेरे कान में लगे उस झुमके की
क्या कहूं, दिखने में तो बड़ा हसीन लगता है
पर सच कहूं, तुझ पर सजा हुआ और भी प्यारा लगता है
रिवायतों की सफे तोड़कर बड़ो
वरना जो तुमसे आगे है वो रास्ता नही देंगे
शराब पी के बड़े तजुरबे हुए है हमे
शरीफ लोगो को हम मशवरा नही देंगे
वजह नही बनना है मुझे तेरी आँखों की नमी का
मुझे तो मेरी जान तेरे होठो की मुस्कुराहट पसन्द है
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