Kanha Kamboj की 10 बेहतरीन शायरी
Kanha kamboj shayari
Best Shayari kanha Kamboj
Kanha ki top shyari
कुछ तो जला होगा यू बेवजह दुआ तो न हुआ होगा
जिसे डरते थे ख्वाब में देखने को भी वो हादसा हकीकत में कैसे हुआ होगा
और मेरे हाथ काँपते है उसकी तस्वीर को छूते हुए
ये दोस्त वो गैर के साथ बिस्तर पर कैसे सोया होगा
ये कैसा सितम था उसका , कुछ पलों की मोहब्बत के लिए मुझे सालो आजमाया गया
उन्होंने पहले मेरी फासी मुकरर कर दी , अदालत मुझे बाद में ले जाया गया
गिरा ले मुझे अपनी नजरो से कितना ही, झुकने पर तो मजबूर में तुझे भी कर दूंगा
एक बार बदनाम करके तो देख मूझे महफ़िल में
कसम से शहर में मशहूर मैं तुझे भी कर दूंगा
सारी रात उसे छूने से डरता रहा
मैं बेबस बेचैन बस करवटे बदलता रहा
हाथ तो मेरा ही था उसके हाथ मे
बस बात ये है कि जिक्र किसी ओर का चल रहा
बेवफाई की सारी हदें वो पार कर चुकी होगी
अपनी बदन की आबरू को वो तार तार कर चुकी होगी
मेरे अलावा किसी ओर के साथ हम बिस्तर होकर वो ये कमाल कर रही होगी
किसकी उंगलियां है तेरे बिस्तर पर
उसकी चादर भी उससे ये सवाल कर रही होगी
तूने रिश्ता तोड़ा है मजबूरी होगी में मानता हूं
मुझे तो निभाने दे मैं तुझसे भला क्या मांगता हूं
दर्द में देखकर तू मुझे , मुस्कुरा रही है
मैं कितना पागल हु , तू हस्ती रहे यही दुआ मांगता हूं
जब पुकारना हो मुझे मेरे नाम भूल जाता है
उसे इश्क़ तो आता है मगर करना भूल जाता है
उसे कहदो यू मुस्कुराकर न देखे मुझे
ये दिल पागल है धड़कना भूल जाता है
मेरी आँखों से आंसू नही रुक रहे एक तू है कि हँसकर बात कर रही है
लहजे में मुआफ़ी ओर आंखों में शर्म तक नही
ये actting का कोर्स तू लाजवाब कर रही है
तेरी हर हकीकत से रूबरू हो गया हूं मैं , ये पर्दा किस बात का कर रही है
एक मैं हु की आंखों से आंसू नही रुक रहे एक तू है कि हँसके बात कर रही है
वक्त जाया न कर मेरे किरदार को पहचानने में
तू खुद एक कहानी बन जाएगा मेरी हकीकत जानने में
चल दिये बेपरवाह गहराई मेरी जानने की
इतना गहरा हु की जमाना निकल जायेगा मेरी गहराई नापने में
खामोशी का अपना मजा है, लब्ज कोई बहरा नही देखा जाता
तेरी आँखों पर काजल की गिरफ्त तो ठीक थी,ये आंसुओ का पहरा नही देखा जाता
अपने हिस्से की खुशियां लुटा दु में तुझपर
तेरा उतरा हुआ चेहरा नही देखा जाता
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any dought please let me know